प्रति हेक्टेयर डेढ़ सौ क्विंटल तक का उपज होने से किसानों की आय में बेहतर वृद्धि होगी
यह मिर्च पूरी तरह से पककर तैयार होने के बाद सुर्ख लाल रंग की हो जाती है। इसमें ओलियोरेजिन नाम का औषधीय गुण भी मौजूद है, जिसे सौंदर्य प्रसाधन में लिपस्टिक बनाने में किया जाएगा। औषधीय गुणों के मौजूद होने के कारण सौंदर्य प्रसाधन के लिए बनने वाले लिपस्टिक में सिंथेटिक रंग का प्रयोग नही करना पड़ेगा, जिससे आमजन को होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सकेगा।
इस तरह से करें खेत की तैयारी तभी हो पाएगी बेहतर उपज
अगर आप मिर्च की इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अपने खेत को तैयार करना होगा। खेत की तैयारी करते समय प्रति हेक्टेयर 20 से 30 टन कंपोस्ट अथवा गोबर खाद का प्रयोग करके अपने खेत को इस मिर्च की किस्म को उपजाने के लायक बनाना होगा। इसके बाद ही आप मिर्च के बीज को बो पाएंगे, बीज की बुवाई के 30 दिनों के बाद जो पौधे उगेंगे उन्हें लगभग 45 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपना होगा, ताकि पौधों के बीच में दूरी बनी रहे। प्रत्येक पंक्ति के बीच लगभग 60 सेंटीमीटर की दूरी रखनी होगी।
वैसे भी मिर्च की खेती के लिए सामान्यतः अधिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। मिर्च की खेती करने के लिए लगभग प्रति हेक्टेयर 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश की जरुरत होती है। इस तरह की किस्म के पौधे काफी फैले हुए होते हैं। बुवाई के 95-100 दिन में मिर्च पौधे में फल पकने लगते हैं। इसकी औसत उपज 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस मिर्च को बाजार में बेचने पर ऊंचे दाम मिलते हैं। सामान्य मिर्च जहां ₹30 प्रति किलोग्राम तक बिकती है, वहीं इस मिर्च की किस्म को आप ₹90 प्रति किलोग्राम तक बेच सकते हैं।
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अगर आप इस मिर्च की खेती करते हैं, तो आपको आसानी से लगभग 3 गुना फायदा प्राप्त हो जायेगा। यह मिर्च लिपस्टिक बनाने से लेकर खाने में भी शानदार और स्वादिष्ट है। आने वाले समय में इस मिर्च की उपज होने के कारण हर्बल कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी इसकी मांग बढ़ेगी और किसानों को इसके लिए अच्छे दाम भी मिलेंगे। गौरतलब यह है कि इस किस्म की मिर्च की खेती कर आप मालामाल हो सकते हैं। जो किसान इस मिर्च की किस्म को उपजाना चाहते हैं, वह अपने नजदीकी कृषि भवन में संपर्क करके और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
पंजाब के फिरोजपुर जिले में इन दिनों किसान गेहूं-चावल की फसल को बहुत हद तक कम उत्पादित कर रहे हैं। इसकी जगह उन्होंने अब एक नई फसल की खेती प्रारंभ की है जिसे मिर्च की खेती के नाम से जानते हैं। मिर्च का इस्तेमाल ज्यादातर भारतीय व्यंजनों में स्वाद को बढ़ाने के लिए मसाले के रूप में होता है। बाजार में लाल मिर्च के साथ-साथ हरी मिर्च भी बड़ी मात्रा में बिकती है, इसलिए फिरोजपुर के किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर मिर्च की खेती करना शुरू कर दी है। वैसे तो मिर्च की खेती के लिए फिरोजपुर की खास पहचान नहीं है, लेकिन सरकार के द्वारा हाल ही में फसल कार्यक्रम को बढ़ावा देने के अपने अभियान के तहत इस जिले में एक मिर्च क्लस्टर स्थापित करने की घोषणा की गई है।
पंजाब सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि राज्य में मिर्च का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। इसलिए सरकार मिर्च क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत मिर्च उत्पादकों को सहूलियतें भी मुहैया करवा रही है। सरकार की कोशिश है कि राज्य से मिर्च का अधिक से अधिक निर्यात किया जाए, साथ ही किसानों को गुणवत्ता में सुधार के लिए तकनीकी मदद भी मुहैया कारवाई जाए ताकि घरेलू बाजार में उनकी पकड़ मजबूत हो सके।
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वर्तमान में पंजाब राज्य में 10,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें किसान हर साल लगभग 20,000 टन मिर्च का उत्पादन करते हैं। वैसे तो देश में आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा मिर्च का उत्पादन होता है लेकिन पंजाब का भी इस खेती में अपना एक अलग स्थान है।
मिर्च उत्पादक किसानों ने बताया है कि परंपरागत खेती के इतर मिर्च की खेती में प्रति एकड़ लगभग 1.50 से 2 लाख रुपये की आमदनी होती है। वहीं गेहूं और धान की खेती में इतनी ही जमीन पर मात्र 90 हजार रुपये की कमाई हो पाती है। इसलिए गेहूं, चावल की अपेक्षा मिर्च से होने वाली कमाई बहुत ज्यादा है। यह फसल नवंबर में लगाई जाती है और मार्च के महीने के तैयार हो जाती है।
फिरोजपुर के एक किसान ने बताया कि वो फिरोजपुर के एक गांव में 100 एकड़ जमीन पर मिर्च की फसल उगाते हैं, जिसमें प्रति एकड़ 2 लाख रुपये की मिर्च का उत्पादन होता है। बाजार में लाल मिर्च 200-250 रुपये प्रति किलो आसानी से बिक जाती है जबकि हरी मिर्च का भाव 20-25 रुपये प्रति किलो होता है। उन्होंने बताया कि फिरोजपुर की मिर्च को अब बाजार में पहचान मिल गई है, यही कारण है कि अब पड़ोसी राज्य राजस्थान के गंगानगर के व्यापारी और आंध्र प्रदेश के व्यापारी यहां मिर्च खरीदने आते हैं।
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यहां की लाल मिर्च ज्यादातर गुजरात में भेजी जाती है, जबकि गहरे रंग की हरी मिर्च नागपुर, भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में भेजी जाती है। वहां इस फसल की जबरदस्त मांग रहती है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि अभी फिलहाल फिरोजपुर जिले के तीन ब्लॉक- घल खुर्द, फिरोजपुर और ममदोट में मिर्च की खेती की जा रही है। इस खेती में किसानों को लाभ हो और किसान इसके प्रति जागरुख हों, इसलिए जिले में क्लस्टर विकास का तरीका अपनाया गया है। इससे मिर्च उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। अधिकारियों ने आगे बताया कि पंजाब में फिरोजपुर के अलावा पटियाला, मलेरकोटला, संगरूर, जालंधर, तरनतारन, अमृतसर, एसबीएस नगर और होशियारपुर जिलों में भी मिर्च की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है।
अगर किसान भाई एक हेक्टेयर खेत में मिर्च का उत्पादन करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होगी। देशी मिर्च के 10 किलोग्राम बीज की बाजार में कीमत 2500 रुपये प्रति किलो है। जबकि हाइब्रिड बीज की कीमत 3500 से 4000 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है। इसके अलावा एक हेक्टेयर खेत में सिंचाई, खाद डालना, कीटनाशक डालना और कटाई में 3 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है।
इतना होगा फायदा
एक हेक्टेयर खेत में लगभग 300 क्विंटल मिर्च का उत्पादन हो सकता है। जबकि मिर्च की औसत कीमत 40 रुपये प्रति किलो होती है। इस हिसाब से एक हेक्टेयर खेत में 12 लाख रुपये की मिर्च का उत्पादन हो सकता है। अगर मिर्च की खेती में आने वाली लागत को अलग कर दें तब भी किसान भाइयों को एक हेक्टेयर खेत में मिर्च उत्पादन करने पर लगभग 9 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है। इस हिसाब से किसान भाई बेहद कम समय में मिर्च की खेती से ज्यादा से ज्यादा रुपये कमा सकते हैं।
मिर्च की खेती हर तरह की जमीन में की जा सकती है। अच्छे उत्पादन के लिए हल्की उपजाऊ और पानी के अच्छे निकास वाली ज़मीन का चयन करना चाहिए। मिर्च की खेती के लिए जमीन का चुनाव करने के पहले मिट्टी का परीक्षण अवश्य करवाएं। इस खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
मिर्च की रोपाई हमेशा मिट्टी के बेड पर ही करना चाहिए। इससे पौधों के आस पास पानी जमा नहीं होता है और पौधे सड़ने से बच जाते हैं। मिर्च के पौधों को हमेशा नर्सरी में तैयार करना चाहिए। जिसके लिए उपचारित बीजों का इस्तेमाल करें। बीजों की बुवाई के 40 दिनों के बाद पौध तैयार हो जाती है। जिसे बाद में खेत में लगाया जा सकता है। पौध को खेत में लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे स्वास्थ्य हों और उनकी ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
मिर्च की खेती में हानिकारक रोगों के साथ ही कीटों का आक्रमण होता रहता है। जिससे निपटने के लिए किसान भाई जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा रोगों से निपटने के लिए मिथाइल डैमेटन, एसीफेट, प्रॉपीकोनाज़ोल या हैक्साकोनाज़ोल जैसी दवाइयों का भी उपयोग किया जा सकता है।
फसल आने पर मिर्च को हरे रूप में ही तोड़ लिया जाता है और बाजार में बेंच दिया जाता है। इसके अलावा जब मिर्च लाल हो जाती है तो उसे तोड़कर सुखा लिया जाता है और मिर्च के आकार के हिसाब से अलग कर लिया जाता है। इसके बाद सूखी मिर्च को पैक करके स्टोर कर लिया जाता है और बाजार में बेंचने के लिए भेज दिया जाता है।
एक हेक्टेयर जमीन पर मिर्च की खेती करने पर कितने किलो बीज की जरूरत पड़ेगी
भारत में हरी एवं लाल मिर्च दोनों की पैदावार की जाती है। इन दोनों मिर्चों की खेती किसी भी प्रकार की मृदा में की जा सकती है। यदि किसान भाई एक हेक्टेयर जमीन में मिर्च का उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं, तो उसके लिए उनको सर्वप्रथम नर्सरी तैयार करनी पड़ेगी। नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग 8 से 10 किलो मिर्च की जरुरत पड़ेगी। 10 किलो मिर्च के बीज खरीदने के लिए आपका 20 से 25 हजार रुपये का खर्च हो जाएगा। अगर आप हाइब्रिड बीज खरीद रहे हैं, तो आपको इसके लिए 40 हजार रुपये का खर्चा करना पड़ेगा। उसके बाद आप नर्सरी के अंदर बीज की बुवाई भी कर सकते हैं। एक माह के उपरांत नर्सरी में मिर्च के पौधे पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। इसके उपरांत आप पहले से तैयार खेत में मिर्च की बुवाई कर सकते हैं।
एक हेक्टेयर में मिर्च उत्पादन के दौरान कितना खर्चा आता है
हालांकि, मिर्च की रोपाई करने से पूर्व सबसे पहले खेत को बेहतर ढ़ंग से तैयार करना पड़ेगा। खेत में उर्वरक के तौर पर गोबर को इस्तेमाल करना अधिक अच्छा रहेगा। एक हेक्टेयर जमीन में मिर्च का उत्पादन करने पर 3 लाख रुपये का खर्चा आएगा। परंतु, कुछ माह के उपरांत आप इससे 300 क्विंटल तक मिर्च की पैदावार उठा सकते हैं। अगर आप 50 रुपये के हिसाब से भी 300 क्विंटल मिर्च की बिक्री करते हैं, तो आपको करीब 15 लाख की आमदनी होगी।
बतादें, कि प्रति क्यारी 50 ग्राम फोरेट एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। बीज को 2 ग्राम एग्रोसन जीएन, थीरम अथवा कैप्टान रसायन प्रति किलो ग्राम उपचारित करें। बीज को पंक्तियों में एक इंच के फासला पर बोकर मृदा एवं खाद से ढक दें। ऊपर पुआल अथवा खरपतवार से ढक देना चाहिए। बीज जमने के पश्चात खरपतवार को बाहर निकाल दें। मिर्च का पौधे की 25 से 35 दिन में बिजाई की जा सकती है। मिर्च को हमेशा रात को ही रोपाई करनी चाहिए। रोपाई के दौरान कतार और पौधों में 45 सेमी का फासला होना चाहिए। 85 से 95 दिन में हरी मिर्च फल देने लायक हो जाती है। सूखी मिर्च के फल की तुड़ाई 140-150 दिन पर रंग लाल होने पर करनी चाहिए।
200 कुंतल गोबर अथवा कंपोस्ट, 100 कुंतल नाइट्रोजन, 50 कुंतल फास्फोरस और 60 कुंतल पोटाश प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है। रोपाई से पूर्व कंपोस्ट में फास्फोरस की संपूर्ण मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा दी जानी चाहिए। उसके पश्चात दो बार में शेष मात्रा दी जानी चाहिए। अगर कम वर्षा हो तो 10 से 15 दिन के समयांतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। फसल की फूल और फल बनने के दौरान सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई नहीं होने पर फल और फूल काफी छोटे हो जाते हैं। खेत को खरपतवार रहित रखना चाहिए, जिससे कि बेहतरीन उत्पादन हो सके।